बुधवार, २१ ऑक्टोबर, २००९

मधुशाला आधारीत पाठशाला

विद्यालय जाने को घर से चलता है पढ़नेवाला ,
'किस स्कूल मे जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग डोनेशन्स बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ -
एडमिशन लेकर सस्ती चला चल, पा जाएगा पाठशाला ।१|

स्कूल मे जाने से पहले दिखेगा सब अच्छावाला,
नयी किंताबे नयी स्कूल बॅग मिलेगा सब नयावाला,
बहुतेरे जैसे खुश होंगे पहेला दिन आने से पहले,
विद्यार्थी, मोहीत हो जाना, पहले मान करेगी पाठशाला |२|

मुख से तू अविरत कहता जा पाढ़े, कविता, सुभाषित माला,
हाथों में अनुभव करता जा पट्टी-डस्टर से पड़ा छाला,
ध्यान किए जा मन में इतिहास भूगोल और सायेन्स का,
और पढ़ा चल, विद्यार्थी, तुझको परेशान करेगी पाठशाला |३|

एक युग मे एक बार ही पैदा हुआ था हिटलर
एक बार ही शिवाजी महाराज की हुई अफज़लखान से टक्कर
दुनियावालों, किन्तु, किसी दिन विद्यालय में देखो,
हर दिन हर रोज छड़ी और डस्टर मारते रहते दामले मास्तर |४|

पाटी-पुस्तक सब जला चुकी है, जिसके अंतर की ज्वाला,
पट्टी, डस्टर, छड़ी, के भय को तोड़ चुका जो मतवाला,
शिक्षक, शिक्षिका, हेडमास्टर के फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी पाठशाला |५|

हुशार और ढ विद्यार्थी एक जैसे , मगर भिन्न है उनकी कक्षा
एक ही शिक्षक , एक ही परीक्षा भिन्न मगर उनकी शिक्षा
दोनों रहते साथ जब तक मैदान या मल्टीप्लेक्स जाते है
क्रिकेट सिनेमा मेल कराते , बैर बढ़ाती पाठशाला |६|

पढ़ने ही पढ़ने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला!
'दूर अभी है SSC' , कहता है हर कक्षा पढ़ानेवाला,
हिम्मत है बढूँ आगे को साहस है फिरुँ पीछे,
किंकर्तव्यविमूढ़ मुझे कर दूर खड़ी है पाठशाला |७|

यम आएगा SSC बनकर, साथ लिए exam बोर्ड वाला
लिख ना, फिरसे स्कूल आएगा यह exam पास होनेवाला
यह अन्तीम परीक्षा , अन्तीम कक्षा अन्तीम शिक्षा है ,
विद्यार्थी प्यार से लिखना इसको , फिर ना मिलेगी पाठशाला |८|

- कौस्तुभ सोमण
(हरिवंशराय बच्चन ह्यांच्या "मधुशाला" वर आधारीत )